शुक्रवार, 11 मार्च 2011

पत्नी चालीसा.............

नमो: नमो: पत्नी महारानी
तुम्हारी महिमा कोई ना जानी
हमने समझा तुम अबला हो
पर तुम तो सबसे बड़ी बला हो
जिस दिन हाथ में बेलन आवे
उस दिन पति खूब चिल्लावे
सारे पलंग पे पत्नी सोवे
पति बैठ फर्श पे रोवे
तुम से ही घर मथुरा काशी
और तुमसे ही घर सत्यानाशी
पत्नी चालीसा जो नर गावे
सब सुख छोड़ परम दुख पावे

2 टिप्पणियाँ:

http://anusamvedna.blogspot.com ने कहा…

हा हा हा .... दुखती रग पर हाथ क्यों धरते हो भाई

हरीश सिंह ने कहा…

बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके., हो सके तो फालोवर बनकर हमारा हौसला भी बढ़ाएं.
मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

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